मधु शर्मा – हाइकु – 001

15-06-2024

मधु शर्मा – हाइकु – 001

मधु शर्मा (अंक: 255, जून द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

1.
मेरी गुड़िया
चहकती चिड़िया
हो गई मौन!
 
2.
नग्न बदन  
निर्धन का रुदन
समाज रुग्ण।
 
3.
निष्ठुर मन,
दूरियों से उत्पन्न 
परायापन।
 
4.
प्रेम विवाह
फिर होता विवाद 
और तलाक़।
 
5.
सुनाऊँ कैसे
अपनी ही ज़ुबानी
मेरी कहानी।
 
6.
करे उदास
एकाकीपन नहीं, 
तुम्हारा साथ।
 
7.
ओ री गागर!
लबालब सागर
छलके नाहीं।
 
8.
खोई जवानी 
बचपन तरसा,
बुढ़ापा रोया।
 
9.
बेचे ईमान
धड़ाधड़ इन्सान,
हे भगवान!
 
10.
कभी ईमान
तो कभी भगवान,
बेचे इन्सान।
 
11.
रामराज्य था,
लेकिन सिया बिन
राम थे खिन्न।

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