पानी का बुलबुला

15-10-2022

पानी का बुलबुला

मधु शर्मा (अंक: 215, अक्टूबर द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

मूसलाधार बारिश के कारण सड़क किनारे साफ़ पानी की तेज़ धारा सी बन रही थी। मोटी-मोटी बूँदों के टपटप गिरते ही उस धारा में बुलबुले बन कर उसी गति से बह रहे थे। उन्हीं में से एक बड़े से बुलबुले ने सड़क के बीचों-बीच एक गढ़ैया में अन्य बुलबुलों को बनते और उसी क्षण मिटते हुए देखा। स्वयं को उनसे अधिक समय तक टिका देखकर वह अपने अस्तित्व पर गर्व से फूला नहीं समा रहा था। 
लेकिन यह क्या? दूसरे ही पल वह भी फूट कर गढ़ैया के बुलबुलों की तरह पानी में जा मिला।

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