सरलता

01-01-2025

सरलता

मधु शर्मा (अंक: 268, जनवरी प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

सीधे-सादे व्यक्ति को मूर्ख, नासमझ, उल्लू और न जाने क्या-क्या उपाधि हमारा समाज दे डालता है। लाचार हुआ वह इन्सान समझ ही नहीं पाता कि स्वयं को कैसे समझदार बनाये ताकि पीठ पीछे उसे कोई धोखा न दे सके या आमने-सामने ही बातों-बातों में उसे बरगला न सके। 

सम्भवतः जन्म के समय ही उसे ऐसी घुट्टी पिलाई गयी होगी या उसका स्वभाव ही ऐसा सरल है कि उसके मन में कभी कोई खोट जागा ही नहीं . . . अब वह जाने तो कैसे जाने कि दुनिया में विश्वासघात, ठगी, धोखाधड़ी इत्यादि जैसी बातें भी आम होती होंगी। 

छल-कपट के भिन्न-भिन्न रूप होने के कारण वह भला मानस, एक व्यक्ति से सचेत होना सीखता है तो कोई दूसरा नई विधि द्वारा उसकी आँखों में धूल झोंक कर चलता बनता है। और धोखा खाया इन्सान सोचता रह जाता है कि सरलता गुण है या एक अभिशाप? 

सादगी के साथ-साथ दुनियादारी सीखने के लिए न तो उच्च शिक्षा सहायक बनती है और न ही ढेरों स्व-सहायक (self-help) पुस्तकें। इसमें कोई दो राय नहीं कि पुस्तकों की अपनी महत्ता है परन्तु पाठ तो हमें वही याद रहता है जो समय व ठोकरें सिखा जाती हैं। 

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