ख़ुश है अब वह

15-10-2023

ख़ुश है अब वह

मधु शर्मा (अंक: 239, अक्टूबर द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

 

राह भूलने वालों में से नहीं वह,
पीछे चले किसी के न ही वह।
 
नहीं जाना बस अच्छाई-बुराई को,
अपना बना लेती थी हर राही को।
 
बख़ूबी निभाते थे साथ लोग ज़रूर,
लूट लेते थे फिर पा के उसे मजबूर।
 
बन्द घर में इसीलिए अब वह ख़ुश,
लूटेरे वहाँ न सुने झूठ में लिपटे दुख।

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