मधु शर्मा – पाँच क्षणिकाएँ – 002

15-11-2023

मधु शर्मा – पाँच क्षणिकाएँ – 002

मधु शर्मा (अंक: 241, नवम्बर द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)


1.
जीवन कुचक्र सा, 
रेखाओं में घिरा 
त्रिकोण कभी, 
कभी चक्र सा। 
2.
अभाव जल का
अकाल में, 
अर्पण अश्रु धारा
आशुतोष पे। 
3.
खाकर गालियाँ, 
पीकर सब्र के घूँट, 
मर जाती ग़रीब की
यही खा-पीकर भूख। 
4.
मंज़िल मरीचिका
सूरज हमसफ़र, 
मैं वो मुसाफ़िर
राहें जिसकी बंजर। 
5.
ज़िंदगी का सार; 
सुख-दुख दोनों 
समेटे आग़ोश में, 
मैंने बाँहें पसार। 

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