फ़िलहाल

15-04-2023

फ़िलहाल

मधु शर्मा (अंक: 227, अप्रैल द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)


जुदा हों हमारे रास्ते इसी में भलाई है, 
सोचें नहीं, सोचने की अभी मनाही है। 
  
मिलेंगे ये रास्ते आगे, कहीं न कहीं तो, 
मिलेंगे हम देखिएगा कभी न कभी तो, 
किरन उम्मीद की इक नज़र तो आई है, 
फ़िलहाल जुदा रहें रास्ते, तो भलाई है। 
 
हड़बड़ी में बिगड़ी बात बनती कभी नहीं, 
सब्र रखिएगा, क़यामत आई अभी नहीं, 
बैठ साहिल पे क्यों हर कश्ती जलाई है, 
फ़िलहाल जुदा रहें रास्ते तो ही भलाई है। 

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