सोच

मधु शर्मा (अंक: 246, फरवरी प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

ज़ात बड़ी भगवान की
भूली ज़ात इन्सान की, 
सबको अपनी पड़ी है। 
 
होवे कथा भगवान की, 
लगे लॉटरी धनवान की, 
दौलत पूजा से बड़ी है। 
 
राह लम्बी भगवान की, 
छोटी लेकिन हैवान की, 
पतन पर दुनिया अड़ी है। 
 
जो है सोच भगवान की, 
उलट सोच है शैतान की, 
सोच में डूबी मधु खड़ी है। 

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