इम्तिहान

15-05-2025

इम्तिहान

मधु शर्मा (अंक: 277, मई द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)


समझ में आया सनम क्यों ख़फ़ा हैं,
सुन लिया किसी से हम बेवफ़ा हैं।
 
मुड़कर देख लेते वो इक बार तो,
जान जाते फिर हक़ीक़त क्या है।
 
वादा करके भूल जाते हैं अक्सर,
झूठ बोलने की सीखी ढेरों अदा हैं।
 
मंज़िल सामने देख छोड़ दिया साथ,
पैग़ाम मिला हमें कि रास्ते जुदा हैं।
 
नाकामयाबी ही मिल रही हमें अब,
इम्तिहान लिये गये जितनी दफ़ा हैं।
 
ज़र्रे-ज़र्रे से निकल जाने कहाँ गया,
सुनी उसने वर्ना सदा ‘मधु’ की सदा हैं।

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