दोगलापन

01-12-2023

दोगलापन

मधु शर्मा (अंक: 242, दिसंबर प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

“माँ! भाभी तो देवर की माँ समान होती हैं, तो भाभी मुझसे घूँघट क्यों करती हैं?” 

“तुम्हारे भइया को पसन्द नहीं कि हमारे यहाँ का कोई मर्द बहू का चेहरा देखे . . . चाहे वो उससे छोटा हो या बड़ा।”

कुछ माह बाद उसी भइया के साले साहब पहली बार अपनी नवविवाहिता पत्नी के साथ अपनी इकलौती बहन से मिलने उसके घर आये। भइया जी ने यह कहकर सलहज का घूँघट उठवा दिया, “साले साहब, यह घूँघट-वूँघट क्यों करवा रखा है? यह शहर है, तुम्हारा गाँव नहीं।”

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