गये बरस

15-01-2024

गये बरस

मधु शर्मा (अंक: 245, जनवरी द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

गये बरस खोया कुछ पाया मैंने,
रोकर कभी हँस के बिताया मैंने।
 
ख़ाक छान डाली जहान भर की,
वक़्त किया था क्यों ज़ाया मैंने।
 
महफ़िलें जमीं और मेले भी लगे,
सुकून तो अकेले में ही पाया मैंने।
 
दूर से ही राम-राम करूँ अब तो,
नया ढंग नये बरस अपनाया मैंने।

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