कविता क्यों लिखती हूँ

01-05-2022

कविता क्यों लिखती हूँ

मधु शर्मा (अंक: 204, मई प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

कविताओं मेरी में, दुनिया मुझे ढूँढ़ती है, 
क्यों अकेली तुमने सब सहा, पूछती है। 
 
कैसे समझाऊँ उन नासमझ लोगों को, 
कभी आँखें खोल देखो होते ज़ुल्मों को। 
 
कमज़ोरों की दबी-दबी चीखें सुनो ज़रा, 
क़हक़हों में छुपी कभी उनकी पढ़ो पीड़ा। 
 
कसक सी उमड़ पड़े उनसे मिलने के बाद, 
क़लम उठा लेते हैं अनजाने में मेरे ये हाथ। 
 
काग़ज़ पर दर्द ऐसों का उभर ही आता है, 
कौन ऐसे में कैसे अपने बारे लिख पाता है। 

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