यह इंग्लिस्तान

15-08-2022

यह इंग्लिस्तान

मधु शर्मा (अंक: 211, अगस्त द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

पले-बढ़े हम वहाँ लेकिन घर यह इंग्लिस्तान हो गया, 
मधु से ‘मैंडी’ व संतोष से ‘सैंडी’ बदल कर नाम हो गया। 
 
नहीं कोई ठिकाना यहाँ गर्मी-सर्दी, बरसात-बसन्त का, 
और बेमौसम की बारिश से ताउम्र का ज़ुख़ाम हो गया। 
 
आये थे यहाँ भतीजे की शादी पे विज़िटर-वीज़ा लेकर, 
चमक पाउंड की देखते ही दिल उनका बेईमान हो गया। 
 
सिगरेट-शराब का परहेज़ी बेटा, मान था जिसपर कभी, 
नशे में धुत्त रहे अब, परिवार भी उसका बदनाम हो गया। 
 
रिसैशन के चलते रोटी-कपड़ा-मकान मिलें मुश्किल से, 
सोशल-सिक्युरटी से माँग के यूँ जीना सरेआम हो गया। 
 
जिस धरती-माँ के उपकारों को भूलके हम यहाँ आ बसे, 
सुनके सिसकियाँ उस की अलोप हमारा आराम हो गया। 

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