यादों का भँवर

15-11-2024

यादों का भँवर

मधु शर्मा (अंक: 265, नवम्बर द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)


1.

अधूरे वादों का,
अँधेरी रातों का,
दिल चीरता रुदन,
चुभन यह घुटन।
मुझे डुबो देगा
भँवर यादों का।

2.
जाल यादों का
बिछता चला गया। 
छूटना चाहा जितना
जकड़ता चला गया। 
 
3.
धूमिल यादें
बिन बुलाई मेहमान, 
आने दें। 
ले जायेंगीं मुस्कान, 
ले जाने दें। 
 
4.
ये यादें 
याद दिलायें, 
कैसे कब
गँवा के सब, 
समझ आई जब
आया होश तब। 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
ग़ज़ल
किशोर साहित्य कहानी
कविता - क्षणिका
सजल
चिन्तन
लघुकथा
हास्य-व्यंग्य कविता
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
कविता-मुक्तक
कविता - हाइकु
कहानी
नज़्म
किशोर साहित्य कविता
सांस्कृतिक कथा
पत्र
सम्पादकीय प्रतिक्रिया
एकांकी
स्मृति लेख
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में