कुछ और कड़वे सच – 02

01-04-2023

कुछ और कड़वे सच – 02

मधु शर्मा (अंक: 226, अप्रैल प्रथम, 2023 में प्रकाशित)


लूट लेते आनन-फ़ानन में, वक़ीलों का क्या, 
लुटा देते हैं दोनों हाथों से, फ़क़ीरों का क्या। 
 
आज मेरे माथे पे चमकीं कल किसी और के, 
उड़न छू कब हो जायें, इन लकीरों का क्या। 
 
गाँव-शहरों में डेरा डालें बदल-बदल कर भेष, 
खिचे आते अंधविश्वासी, ढोंगी पीरों का क्या। 
 
भर रहे बेटे घर-बाहर, ढेरों कमाकर विदेशों में, 
दुख-सुख में दूर, ऐसे सोने-चाँदी-हीरों का क्या। 
 
‘अतिथि देवो भव’ नहीं, सिर्फ़ सिरदर्द है मेहमान, 
घर बड़े और दिल छोटे, इन जैसे अमीरों का क्या। 

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