बहन-बेटियों की आवाज़

01-11-2022

बहन-बेटियों की आवाज़

मधु शर्मा (अंक: 216, नवम्बर प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

अपने अपने परिवार का अनमोल गहना हैं, 
हम भी किसी की बेटी किसी की बहना हैं। 
 
कोई भेड़िया हमारा फ़ायदा उठाये अगर, 
हमें अबला समझ घर में घुस आये अगर, 
तो डर कर हमें चुपचाप बैठे नहीं रहना है, 
हम भी किसी की बेटी किसी की बहना हैं। 
 
गालियाँ क्यों केवल माँ-बहन की होती हैं, 
हाँ, बकने वालों की ज़ात ही नीची होती है, 
इनकी बहन-बेटियों का भी यही कहना है, 
हम भी किसी की बेटी किसी की बहना हैं। 
 
सदियों से मर्द हमें खिलौना समझता रहा, 
प्यार के नाम पर खेल घिनौना खेलता रहा, 
इक्कीसवीं सदी में अब और नहीं सहना है, 
हम भी किसी की बेटी किसी की बहना हैं। 

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