अकेली है तन्हा नहीं

15-02-2024

अकेली है तन्हा नहीं

मधु शर्मा (अंक: 247, फरवरी द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

अकेली है तन्हा नहीं
 
रेत है वो, मिट्टी नहीं,
आ जाए पकड़ में जो हाथों में।
 
अनपढ़ है, जाहिल नहीं
बहक जाए जो बातों-बातों में।
 
समझती है कहती नहीं
टपक रहा झूठ आपके वादों में।
 
अकेली है, तनहा नहीं
नहीं यक़ीन रहा रिश्ते-नातों में।
 
दिन में जो है वैसी नहीं 
पाये सुकून ‘मधु’ सिर्फ़ रातों में।

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