गति

मधु शर्मा (अंक: 242, दिसंबर प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

गंगा में तुमने
बेमन से इतने, 
विसर्जन किए
उसके फूल! 
 
जानते हो क्या
जाती है वहीं से
एक नहर कहाँ? 
खेत तुम्हारे जहाँ। 
 
समय बीतने पर
काटकर फ़सल
मंडी में बेचोगे 
कुछ घर में रखोगे। 
 
सेवन करोगे जब
उसी की अस्थियों
के फ़ॉसफरस 
मिश्रित धान का
और शाक का। 
 
तब . . . 
उसकी गति होगी
व तसल्ली होगी
कि जीवन भर
दुतकारा जिसे
अब जाके तुमने 
स्वीकारा उसे। 

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