अदा उनकी

01-06-2023

अदा उनकी

मधु शर्मा (अंक: 230, जून प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

बोलकर झूठ मुकर जाना अदा उनकी, 
छोड़कर लौट-लौट आना अदा उनकी। 
 
शहर-शहर एक से एक हसीं महबूबा, 
शख़्स देखा पहली दफ़ा ऐसा अजूबा, 
ख़ुलेआम यूँ प्यार जताना अदा उनकी 
बोलकर झूठ मुकर जाना अदा उनकी। 
 
बदतर हालात चाहे सामने खड़े हुए हों, 
घर में चाहे खाने के लाले पड़े हुए हों, 
रईस मानिंद पैसा लुटाना अदा उनकी, 
बोलकर झूठ मुकर जाना अदा उनकी। 
 
छोटी-मोटी बातों पे क्यूँ रोना-रुलाना, 
पोंछ के आँसुओं को हमेशा मुस्कुराना, 
रोते हुओं को ऐसे हँसाना अदा उनकी, 
बोलकर झूठ मुकर जाना अदा उनकी। 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

किशोर साहित्य कहानी
कविता
सजल
हास्य-व्यंग्य कविता
लघुकथा
नज़्म
कहानी
किशोर साहित्य कविता
चिन्तन
सांस्कृतिक कथा
कविता - क्षणिका
पत्र
सम्पादकीय प्रतिक्रिया
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
एकांकी
स्मृति लेख
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में