तुमसे न होगा

15-03-2024

तुमसे न होगा

मधु शर्मा (अंक: 249, मार्च द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

करके वादे निभाना तुमसे कहाँ होगा,
याद तुम्हें दिलाना हमसे कहाँ होगा।
 
ख़ुश हो रहे हैं रक़ीब भी, रफ़ीक़ भी,
बिछुड़े तो मिलाना उनसे कहाँ होगा।
 
टूट रहे हैं रिश्ते हर रोज़ काँच मानिंद,
जोड़ना-जुड़ाना किसी से कहाँ होगा।
 
गुज़ार दी उम्र तो दिलों से खेलते हुए,  
रिश्ते नये बनाना फिर से कहाँ होगा।
 
बिठा कर बाज़ार में बेच देते हैं जिन्हें,
घर उनका बसाना सब से कहाँ होगा।

 

लगा गया दाग़ दामन में जो इक बार,

मुँह छुपाना इससे-उससे कहाँ होगा।

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