लोरी ग़रीब माँ की 

01-05-2024

लोरी ग़रीब माँ की 

मधु शर्मा (अंक: 252, मई प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

दूध-मलाई वाली लोरी ग़रीब माँ गाए, 
पानी में चीनी घोल बच्चे को बहलाए। 
 
फटे-पुराने एक अँगोछे में उसे झुलाए, 
आँसू बहाए फिर ख़ुद को ही समझाए, 
चन्दन का पलना हो या फटा अँगोछा, 
नींद तो बच्चों को एक जैसी ही आए, 
दूध-मलाई वाली लोरी ग़रीब माँ गाए। 
 
बाएँ आँचल में ढक उसे धूप से बचाए, 
दाएँ हाथ से पत्थर तोड़ रोज़ी कमाए, 
मुन्ने को देख-देख वह फूली न समाए, 
ममता दिन-रात, सोते-जागते लुटाए, 
दूध-मलाई वाली लोरी ग़रीब माँ गाए। 
 
थकी-हारी शाम को जब वह घर आए, 
गर्म-गर्म खिचड़ी पति प्रेम से खिलाए। 
बीमार है वह परन्तु समझदार है बहुत, 
पति-धर्म समझ पत्नी का हाथ बँटाए, 
और ग़रीब माँ मुन्ने को सीने से लगाए, 
दूध-मलाई वाली लोरी गा उसे सुलाए। 

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