पिता व बेटी

01-02-2022

पिता व बेटी

मधु शर्मा (अंक: 198, फरवरी प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

बस-स्टॉप पर वह पिता अपनी जवान बेटी के साथ बस की प्रतिक्षा कर रहा था। उन्हें अपने गाँव से शहर के कॉलेज में बेटी के ऐडमिशन के लिए जाना था। लेकिन जब उनकी बस आई तो खचाखच भरी हुई थी। अगली बस तीन घंटे से पहले आने वाली नहीं थी, सो झक मार कर दोनों इसी में सवार हो गये। जैसे-तैसे उन्हें बीचों-बीच खड़े होने की जगह मिल गई। 

ऊबड़-खाबड़ सड़क होने की वजह से धक्के लगने पर उनके आगे खड़ी एक वृद्ध महिला स्वयं को सम्भाल नहीं पा रही थी। यह देखकर समीप वाली सीट पर बैठे दो नौजवानों ने उठकर अपनी सीट उस महिला व उस लड़की को दे दी। 

अगले स्टॉप पर उन दोनों लड़कों सहित कुछ सवारियों के उतरने पर उस पिता को भी बैठने के लिए आगे जगह मिल गई। उसकी साथ वाली सीट पर एक जवान लड़की बैठी हुई थी। जब-जब बस उछलती तो वह उस लड़की से टकरा जाता। पूरे रास्ते वह मन ही मन ख़ुश होता रहा। 

एक घंटे बाद उनका स्टॉप आया तो उसने पीछे मुड़ कर अपनी बेटी को देखा, और पाया कि उस वृद्ध महिला के स्थान पर एक अधेड़ उम्र का आदमी बैठा हुआ था। उसकी बेटी आगे वाली सीट पर एक और लड़की के साथ बैठी बातें कर रही थी। 

ख़ैर . . . बस से उतर कर ऑटो लेकर जब वे दोनों कॉलेज की तरफ़ जा रहे थे तो बेटी ने पूछा, ” पिता जी, आप एक बात बताएँगे? ज़्यादातर पुरुष-लड़के उन दो नौजवानों की तरह शरीफ़ होने की बजाए महिलाओं-लड़कियों पर बुरी नज़र क्यों रखते हैं? अब देखें न, जब वो बुज़ुर्ग औरत अपने स्टॉप पर उतर गई तो आपकी उम्र का एक आदमी मेरे साथ आ कर बैठ गया। जब-जब बस में धक्के लगते तो वह जानबूझ कर मुझसे टकरा रहा था। इसीलिए मैं उठ कर आगे वाली सीट पर, जहाँ एक लड़की अकेली बैठी थी, बैठ गई।” 

यह सुन वह पिता अपनी बेटी से फिर कभी आँख मिला कर बात न कर सका। 

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