अंगदान

मधु शर्मा (अंक: 250, अप्रैल प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

प्राण जब निकल जाने पर, 
इच्छा अंगदान की जानकर, 
जैसे ही निकाला गया दिल, 
बचाने हेतु किसी का जीवन, 
चौंक गये देख सभी डॉक्टर, 
रख दिया वापस सँभाल कर। 
 
हतप्रभ हुआ सर्जन बोल उठा, 
हृदय यह नहीं किसी काम का। 
बार-बार इसे तो तोड़ा गया है, 
बूँद-बूँद रक्त निचोड़ा गया है। 
अच्छा हुआ जवानी में चल बसा, 
जीते जी वरना मर-मर के जीता। 

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