संवेदनशील कवि

01-07-2022

संवेदनशील कवि

मधु शर्मा (अंक: 208, जुलाई प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

यूँ ही नहीं लिख देता एक संवेदनशील कवि, 
किसी की वेदना या दर्द दर्शाती कविता कोई। 
सहा होगा कष्टों को कई बार उस ने स्वयं भी, 
पढ़ कर चेहरा जान लेता पीड़ा झट से मन की। 
 
मुस्कुराती आँख के पीछे छुपी हुई दर्द की लहर, 
दु:खों के पहाड़ से लदी हुई झुकी-झुकी कमर, 
देखकर भी जिसे अनदेखा कर देते आप-हम हैं, 
अनुभवी कवि की आँख से छुप न सकें ये मर्म हैं। 
 
अद्भुत यह कला भला यूँ ही तो न उसे मिली होगी, 
माँ सरस्वती ने ही लेखनी उसकी स्वयं गढ़ी होगी। 

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