निगोड़ा दर्द

01-02-2025

निगोड़ा दर्द

मधु शर्मा (अंक: 270, फरवरी प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

दर्द निगोड़ा यह जाता क्यों नहीं, 
पीछा माज़ी से छुड़वाता क्यों नहीं। 
 
बेचैनी सी हो जाती है भीड़ में, 
चैन अकेले में भी आता क्यों नहीं। 
 
ख़ुद पहले रोता फिर रुलाता है, 
ख़ुशनुमा ग़ज़लें वो गाता क्यों नहीं। 
 
रिश्ते पुराने तो तोड़-मरोड़ गया, 
रिश्ते नये वाले भी निभाता क्यों नहीं। 
 
लोग वही, दर और दीवार वही, 
घर तेरा फिर बस पाता क्यों नहीं। 

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