उसकी मजबूरी 

15-05-2024

उसकी मजबूरी 

मधु शर्मा (अंक: 253, मई द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

वो चाहता तो हर कोई चाहता उसे, 
ख़ुद को ख़ुश रखना 'गर आता उसे। 
 
आज़माइश होगी आज रक़ीबों की, 
काश कोई यह ख़बर पहुँचाता उसे। 
 
सबूत पेश कर देता वफ़ा का अपनी, 
भेजकर पैग़ाम यक़ीन दिलाता उसे। 
 
वैसा होता तो शायद ऐसा हो जाता, 
दूर फ़रेबियों से अगर ले जाता उसे। 
 
माने वो ग़ैरों का कहना आँख मूँद के, 
अपना कोई अब कैसे समझाता उसे। 

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