दरिया–ए–दिल

 

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ज़िन्दगी है या, ये है धुआँ
सपने आँखों में ठहरे कहाँ? 
 
सब की सब कोशिशें रायगाँ 
ख़्वाहिशों का है ख़ाली कुआँ 
 
प्यार फूले फले किस तरह 
नफ़रतों की फ़सीलें जहाँ 
 
पुख़्ता रिश्तों की हो डोर जब 
प्यार की पुल सलामत वहाँ 
 
भर गया हो सुकून से ये जब 
दिल में होती दुआएँ रवां
 
पुरअसर जब है होती दुआ 
महके फूलों सा ‘देवी’ जहाँ 

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