दरिया–ए–दिल

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आँचल है बेटियों का मैक़े का प्यारा आँगन 
लगता है उनको छत सा, मैक़े का प्यारा  आँगन
 
इस घर से हो विदा जब बेटी हुई पराई 
अपना वो फिर भी लगता, मैक़े का प्यारा  आँगन 
 
माँ बाप का था साया,  है आज भाई भाभी
गुलशन है बरकतों का, मैक़े का प्यारा  आँगन
 
जीवन में जो भी सीखा, जाना व् समझा सब ने 
जीवन की पाठशाला, मैक़े का प्यारा  आँगन
 
भाई रहे सलामत, दिल से दुआ दे बहनें
लगता है सर पे साया,  मैक़े का प्यारा  आँगन 
 
राखी का जब भी आये त्यौहार देस में तब 
परदेस में रुलाता, मैक़े का प्यारा  आँगन
 
बंधन का ‘देवी’ नाता राखी के दिन निभाता 
भाई-कलाई-धागा, मैक़े का प्यारा  आँगन

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