दरिया–ए–दिल

दरिया–ए–दिल  (रचनाकार - देवी नागरानी)

73. उठो सपूतो देश के आओ

 

21 121 121 122
 
उठो सपूतो देश के आओ
देश का गौरव आप बढ़ाओ
 
देश की बेटी अपनी बेटी
उसकी मौत का शोक मनाओ
 
ख़ूब हो सोए अब तो जागो
ममता का अब क़र्ज़ चुकाओ
 
नारी की है माँग सुरक्षा
नारों से अब मत भरमाओ
 
नारों से क्या होगा लोगो
नारी को सम्मान दिलाओ
 
माँ वो, बहन है बेटी ‘देवी’
मान उसे दो ख़ुद भी पाओ

<< पीछे : 72. ग़म का सागर कैसे पीते प्यार… आगे : 74. घनी छाँव देता वो माओं का आँचल >>

लेखक की कृतियाँ

पुस्तक समीक्षा
साहित्यिक आलेख
कहानी
अनूदित कहानी
बात-चीत
ग़ज़ल
अनूदित कविता
पुस्तक चर्चा
बाल साहित्य कविता
विडियो
ऑडियो