दरिया–ए–दिल

 

2122    2122    212
 
यह नवाज़िश है ख़ुदा की शान है
अब अमरता का मिला वरदान है
 
अग्निपथ पर चलना तेरा काम है
है रज़ा रब की यही फ़रमान है
 
इस सदन का सबसे रोशन हूँ दिया
साफ़ दिल दर्पण मिरा ईमान है
 
बेख़बर होकर जो सोया सेज पर
जागने की रम्ज़ से अनजान है
 
आबला-पा तू, डगर टेढ़ी जटिल
गर भरोसा है, सफ़र आसान है
 
ऐसे में ‘देवी’ न कर कोई सवाल
पाना मंज़िल ही तेरा सम्मान है
 

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