देवी नागरानी
जन्म : 1941 कराची, सिंध (पाकिस्तान)
शिक्षा : बी.ए. ओसमान्या यूनिवर्सिटी से किया। 1961 से बम्बई में रहते हुए माँटेसरी व गणित के डिप्लोमा हासिल किये जो मुझे यहँ न्यू जर्सी में एन.जे.सी. में 'अर्ली चाइल्डहुड' को पूरा कराने में मददगार साबित हुए हैं।
रचना कर्म : सिंधी, हिन्दी, तथा अंग्रेज़ी में समान अधिकार लेखन, हिन्दी-सिंधी में परस्पर अनुवाद। श्री मोदी के काव्य संग्रह, चौथी कूट (साहित्य अकादमी प्रकाशन), अत्तिया दाऊद, व् रूमी का सिंधी अनुवाद।
1972 से टीचर होने के नाते पढ़ती पढ़ाती रही हूँ और सही मानों में ज़िन्दगी की किताब के पन्ने नित नये मुझे एक नया सबक पढ़ा जाते हैं।
कलम तो मात्र इक ज़रिया है, अपने अन्दर की भावनाओं को मन के समुन्द्र की गहराइयों से ऊपर सतह पर लाने का। इसे मैं रब की देन मानती हूँ, शायद इसलिये, जब हमारे पास कोई नहीं होता तो यह सहारा लिखने का एक साथी बनकर रहनुमाँ बन जाता है। पढ़ते पढ़ाते भी रही - नादान मैं गँवार। बेहतर पढ़ा सकी मुझे, यह ज़िन्दगी की किताब!
प्रकाशन : 8 ग़ज़ल-व काव्य-संग्रह, (एक अंग्रेज़ी), 2 भजन-संग्रह, 8 सिंधी से हिंदी अनूदित कहानी-संग्रह प्रकाशित।
लेखक की पुस्तकें
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लेखक की कृतियाँ
- साहित्यिक आलेख
- कहानी
- अनूदित कहानी
- पुस्तक समीक्षा
- बात-चीत
- ग़ज़ल
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- अब ख़ुशी की हदों के पार हूँ मैं
- उस शिकारी से ये पूछो
- चढ़ा था जो सूरज
- ज़िंदगी एक आह होती है
- ठहराव ज़िन्दगी में दुबारा नहीं मिला
- बंजर ज़मीं
- बहता रहा जो दर्द का सैलाब था न कम
- बहारों का आया है मौसम सुहाना
- भटके हैं तेरी याद में जाने कहाँ कहाँ
- या बहारों का ही ये मौसम नहीं
- यूँ उसकी बेवफाई का मुझको गिला न था
- वक्त की गहराइयों से
- वो हवा शोख पत्ते उड़ा ले गई
- वो ही चला मिटाने नामो-निशां हमारा
- ज़माने से रिश्ता बनाकर तो देखो
- अनूदित कविता
- पुस्तक चर्चा
- बाल साहित्य कविता
- विडियो
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- ऑडियो
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