दरिया–ए–दिल

दरिया–ए–दिल  (रचनाकार - देवी नागरानी)

1. तू ही एक मेरा हबीब है

 
212   12   212    12
 
तू ही एक मेरा हबीब है
मेरी धड़कनों के क़रीब है
 
बड़ी मुश्किलों का है सामना
कि सभी के सर पे सलीब है
 
मेरे मर्ज़ की है शफ़ा तू ही
तू ही लाजवाब तबीब है
 
मेरी ख़्वाहिशों में शरीक तू
मेरी ज़िंदगी तू नसीब है
 
मुझे आज़माते हो बारहा
तेरी कार्रवाई अजीब है

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