यूँ उसकी बेवफाई का मुझको गिला न था

23-05-2017

यूँ उसकी बेवफाई का मुझको गिला न था

देवी नागरानी

यूँ उसकी बेवफ़ाई का मुझको गिला न था
इक मैं ही तो नहीं जिसे सब कुछ मिला ना था।


लिपटे हुए थे झूठ से कोई सच्चा न था
खोटे तमाम सिक्के थे, इक भी खरा न था।


उठता चला गया मेरी सोचों का कारवां
आकाश की तरफ़ कभी, वो यूँ उड़ा न था।


माहौल था वही सदा, फ़ितरत भी थी वही
मजबूर आदतों से था, आदम बुरा न था।

जिस दर्द को छुपा रखा मुस्कान के तले
बरसों में एक बार भी कम तो हुआ न था।


ढोते रहे है बोझ सदा तेरा ज़िंदगी
जीने में लुत्फ़ क्यों कोई बाक़ी बचा न था।


कितने नक़ाब ओढ़ के देवी दिये फ़रेब
जो बेनक़ाब कर सके वो आईना न था।

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