दरिया–ए–दिल


2122    1212    22
 
हर हसीं चेहरा तो गुलाब नहीं
कोई चेहरा भी बेनक़ाब नहीं
 
बेनक़ाब वो ही कर सकेगा उन्हें
जिसके चेहरे पे है नक़ाब नहीं
 
‘आज’ इतिहास बीते कल का है
क्या ये जीवन का एक बाब नहीं
 
दिल में हर एक के ख़ुदा रहता
दिल धड़कता है बिन रबाब नहीं
 
अर्ज़ मेरी क़ुबूल कर मौला
मेरी उम्मीदों का हिसाब नहीं
 
रेत ही रेत पर हूँ चलता मैं
सामने कोई भी सुराब नहीं
 
माल असबाब बेहिसाब रहा
पर चले साथ वो निसाब नहीं
 
पैसा आने से वो अमीर बना
ख़ानदानी तो वह नवाब नहीं
 
बेतुके से सवालों का ‘देवी’
पास मेरे कोई जवाब नहीं

<< पीछे : 35. क़हर बरपा कर रही हैं बिजलियाँ… आगे : 37. दिन बुरे हैं मगर ख़राब नहीं >>

लेखक की कृतियाँ

साहित्यिक आलेख
कहानी
अनूदित कहानी
पुस्तक समीक्षा
बात-चीत
ग़ज़ल
अनूदित कविता
पुस्तक चर्चा
बाल साहित्य कविता
विडियो
ऑडियो