दरिया–ए–दिल

दरिया–ए–दिल  (रचनाकार - देवी नागरानी)

समर्पण

 

समर्पण


श्री. आर. पी. शर्मा जी को
जिनकी आशीष से
मैं इस इस विधा के प्रांगण में क़दम रख पाई
एक ऐसे मधुबन में
जहाँ फूलों की मुट्टियों में छुपी सुगंध
मेरे भीतर के शोर में ख़ामोशी
शोलों में शबनम व सन्नाटों में संगीत
का अहसास ज़िंदा रखते हुए
शब्दों की पदयात्रा करती आ रही है।
—देवी नागरानी

 

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