सुंदरतम

01-10-2025

सुंदरतम

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 285, अक्टूबर प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

जल ने प्रलय मचा रखी है
आसमाँ की मोहब्बत में
दुनिया तबाह कर रखी है। 
 
सोचते हो मोहब्बत
बस तुमने ही की है यहाँ
ओह नहीं नहीं . . . 
 
हवा ने पानी से
पानी ने हवा से
आँखों से आँखें मिला रखी है। 
 
सोचते हो ख़ूबसूरत
बस तुम ही हो यहाँ
ओह नहीं नहीं . . .  
 
पर्वतों ने अपनी सुंदरता से
सारी दुनिया अपने
क़दमों में झुका रखी है। 

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