राधा की होली

15-03-2025

राधा की होली

सरोजिनी पाण्डेय (अंक: 273, मार्च द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)


1. 
कान्हा वृंदावन बसैं, बरसाना मेरो गाँव। 
होरी में वा से मिलूँ, सखि लगाव कोउ दाँव॥
 
2. 
अंग अंग सरसों खिली, तन छायो मधुमास। 
फाग मनाऊँ श्याम संग, मोरे मन की आस॥
 
3.
गाल मेरे पाटल गुलाब. हुए, लखि तोहे नंद लाल। 
कान्हा तू है बावरा, इन पर मलै गुलाल @॥
 
4. 
तूने घायल कर दियो, मेरो मन और प्रान। 
नज़रें तेरी तीर हैं, भौंहें काम-कमान॥
 
5. 
कंचन-रंग मैं कामिनी, तूने कर दी लाल। 
रँगूँ तोहे मैं प्रीत रंग, हे गिरिधर गोपाल॥
 
6. 
तेरे रंग मैं रंग चुकी, और रंग मत डार। 
बिगरी जो चुनरी मेरी, तो मैं ठानूँगी रार॥
 
7. 
मैं गोरी तू रंग मोहे, जो रंग तोहे भाय। 
पक्को रंग तेरो सांवरो, मोसों रंग्यो न जाए॥
 
8. 
मैं अति कोमल कामिनी, पिचकारी मत मार। 
अंग-अंग घायल करे, तीखी जल की धार॥
 
9. 
अंग-अंग बीना बजी, सुन मुरली की तान। 
नाचूँ ना मिरदंग पै, कान्ह बात मेरी मान॥
 
10. 
होली खेलैं कुंज में, राधा संग गोपाल। 
मन के नैनों से निरख, होवैं भगत निहाल॥
 
11. 
पिचकारी दोउ नैन हो, बैनन झरै गुलाल। 
ऐसी होरी होय तो, उपजै सुख नंदलाल॥
 
12. 
अपनी सरन ले साँवरे, कृपा मेंह बरसाव। 
रोम-रोम भीजै मोरा, बचै न कोउ ठाँव॥
 
सभी पाठकों को होली की शुभकामनाएँ

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