लंगड़ा यमदूत
सरोजिनी पाण्डेय
मूल कहानी: डियावालोज़ोपा; चयन एवं पुनर्कथन: इतालो कैल्विनो; अंग्रेज़ी में अनूदित: जॉर्ज मार्टिन (लेम डेविल);
पुस्तक का नाम: इटालियन फ़ोकटेल्स; हिन्दी में अनुवाद: ‘लंगड़ा यमदूत’-सरोजिनी पाण्डेय
प्रिय पाठक,
आप में से अधिकतर को यह मालूम ही होगा कि भारतीय साधु परंपरा में विवाह करना और स्त्री का संग करना वर्जित है, यहाँ तक कि कबीर जैसे समाज सुधारक ने भी लिख दिया:
“नारी तो हमहू करी, जाना नहीं विचार,
जब जाना तब परिहरी नारी बड़ा विकार”
आज जो लोक-कथा मैं आपके लाई हूँ, उसमें भी इसी तरह का विचार उपस्थित किया गया है। मन में यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि भला ऐसा क्यों हुआ? क्यों पूरे संसार में ही स्त्री को दुखों का कारण माना गया? यह विमर्श का विषय हो सकता है, परन्तु इस समय तो आप इस लोक कथा का आनंद लें, भारतीय दार्शनिक परंपरा की तुलना इस कथा के विचारों से करें और इस विषय पर मनन करते रहें।
एक लँगड़ा यमदूत नरक में रहता था, पुरुष मरते रहते और उसके सामने से होकर नर्क जाते रहते, वह अक्सर ही नर्क आने वाले लोगों से पूछता, “आपको यहाँ क्यों भेजा गया है?” और उसे एक ही उत्तर मिलता, “स्त्री के कारण!”
एक ही उत्तर बार-बार सुनते-सुनते लँगड़ा यमदूत अपनी उत्सुकता को रोक न सका, ऐसा क्या है जो स्त्रियाँ पुरुष के नर्क आने का कारण होती हैं? अब उसने अपनी जिज्ञासा शांत करने के लिए पृथ्वी का रुख़ किया। यमदूत ने योद्धा का रूप बनाया और जा पहुँचा पलेरमो नगर में। वहाँ पर एक सुंदर लड़की अपने छज्जे में खड़ी थी। लँगड़े यमदूत को यह लड़की पसंद आ गई। वह उसके सामने की गली में चक्कर लगाने लगा। वह जितना ही उसे देखा उतना ही उसके प्यार में डूबता चला जाता था। आख़िरकार उसने उसके पास विवाह का प्रस्ताव भेजा। प्रस्ताव में कहा गया कि दहेज़ एकदम नहीं चाहिए, जो कपड़े उसने पहने होंगे उसी में वह योद्धा उसे ब्याह लाएगा, लेकिन शर्त सिर्फ़ एक है कि विवाह से पहले वह जो भी चाहे उपहार माँग ले, विवाह हो जाने के बाद वह उसकी कोई बात नहीं सुनेगा, कोई उपहार नहीं देगा। अब भला बिना दहेज़ के शादी करने को कौन सी लड़की नहीं तैयार होगी? शादी हो गई। योद्धा ने अपनी दुलहन को उपहारों से लाद दिया—कपड़े, गहने, शृंगार की हर सामग्री, सुख सुविधा का हर सामान!
सैर सपाटा करने, मनोरंजन के लिए वह यमदूत अपनी पत्नी को नाच-गाने की महफ़िलों में भी ले जाता, जहाँ नगर के और दूसरे धनाढ्य लोग जाया करते थे। एक दिन कोई बहुत बड़ा समारोह था, राज परिवार के लोग भी इस समारोह में आए थे। वहाँ पर रोज़िना ने नगर के सबसे बड़े साहूकार की पत्नी के गले का हार देखा। ऐसा सुंदर अनमोल हार उसने पहले कभी नहीं देखा था, उसकी तो चमक ही अनोखी थी। उसका हार देखकर नई-नई ब्याही रोज़िना ईर्ष्या से जल मरी। ऐसे हार की फ़रमाइश वह अपने पति से नहीं कर सकती थी क्योंकि अब तो उसका ब्याह हो गया था। उसने क़सम ले ली थी कि कोई उपहार नहीं माँगेगी। उसका चेहरा निराशा और उदासी से मुरझा गया।
जब उसके पति (यमदूत) ने उसका उदास चेहरा देखा तो पूछ लिया, “रोज़िना यहाँ आकर तुम ख़ुश नहीं हो क्या? क्या बात है? चेहरा बुझा-बुझा लग रहा है?”
“नहीं नहीं! कुछ भी तो नहीं है।“
“लेकिन तुम्हारी तबीयत मुझे ठीक नहीं लग रही है।”
“मैं तुमसे सच कह रही हूँ, कोई बात नहीं है। सब ठीक है।”
“अगर कोई बात है, तो मुझे बताओ। शायद मुझसे कहकर तुम्हें अच्छा लगे!”
“ठीक है, तुम ज़िद कर रहे हो तो सुनो, तुम उसे साहूकारिन का हार देख रहे हो न, कैसा सुंदर हार है। पूरे शहर में ऐसा किसी के पास नहीं है और मैं तुमसे इसकी फ़रमाइश भी नहीं कर सकती!”
यह सुनकर लँगड़ा भूत उछल पड़ा, “तो यह बात है! अब मैं समझ गया कि सारे पुरुष नरक क्यों जाते हैं! सिर्फ़ औरतों की बातों में आकर!”
लँगड़े भूत ने रोज़िना को वहीं छोड़ा और तुरंत अपनी जगह वापस नर्क में काम पर चला गया।
एक दिन वह शादी करने का अपना अनुभव अपने एक मित्र, दूसरे यमदूत को, सुना रहा था कि शादी करने से क्या होता है। अभी वह कहानी सुना ही रहा था कि उसके मित्र ने कहा, वह भी शादी करना चाहता है। लेकिन वह चाहता है कि वह किसी राजा की बेटी से शादी करे, जिसे धन-दौलत की कमी ही न हो फिर पता लगेगा कि धनवानों में भी क्या ऐसा ही होता है?
अब लँगड़े भूत ने कहा, “ठीक है दोस्त, मैं तुम्हें ऐसा करने का उपाय बताता हूँ। मैं स्पेन के राजा की बेटी के शरीर में घुसकर उसे बीमार कर दूंँगा। जब वह बहुत बीमार हो जाएगी तो राजा ज़रूर मुनादी करवाएगा ‘जो राजकुमारी को ठीक कर देगा उससे राजकुमारी का विवाह कर दिया जाएगा’ इस घोषणा के बाद तुम डॉक्टर का हुलिया बना आ जाना। जब मैं तुम्हारी आवाज़ सुन लूँगा तो मैं राजकुमारी के शरीर से बाहर आ जाऊँगा और वह ठीक हो जाएगी और तुम्हारा ब्याह राजकुमारी से हो जाएगा। शायद तुम राजा भी बन जाओ। कहो कैसा रहेगा?” दूसरे यमदूत को भी लँगड़े यमदूत की योजना पसंद आ गयी।
जैसा दोनों यमदूत मित्रों ने सोचा था, ठीक वैसा ही हुआ। चिकित्सक बनकर आया यमदूत बीमार राजकुमारी के कमरे में लाया गया। धीरे से बाहर वाले यमदूत ने कहा, “मेरे प्यारे लँगड़े दोस्त, भाई मैं आ गया हूँ, अब तुम बाहर निकल आओ जिससे राजकुमारी ठीक हो जाए। तुम मेरी आवाज़ सुन रहे हो ना लँगड़े दोस्त! सुनते हो ना!!”
भूत-प्रेतों की बातों का भला कौन विश्वास कर सकता है? क्या वे भरोसा करने लायक़ हो सकते हैं?
लँगड़े यमदूत ने अपने मित्र की आवाज़ सुनी लेकिन वह कहता रहा, “कौन है? क्या बोल रहा है? हाँ, हाँ मैं बिल्कुल ठीक हूँ। मैं यहाँ बहुत अच्छी तरह हूँ, फिर मैं यहाँ से बाहर क्यों आऊँ?”
“दोस्त, तुम अपनी बात याद करो, तुमने मुझसे क्या कहा था! क्या तुम मज़ाक़ कर रहे हो? तुम जानते हो ना कि जो राजकुमारी को ठीक नहीं कर पाएगा उस डॉक्टर का सिर कटवा दिया जाएगा . . . तुम्हें यह मालूम है ना!”
“हाँ, हाँ सब याद है, लेकिन मैं यहाँ बहुत आराम से हूँ। तुम क्या सोच सकते हो कि यह आराम की ज़िन्दगी छोड़कर मैं बाहर आऊँगा?”
“तुम क्या बात कर रहे हो दोस्त? यहाँ मेरी ज़िन्दगी दाँव पर लगी है।”
“बस तुम मुझसे बात मत करो। यहाँ से चले जाओ। मैं यहाँ से कभी भी नहीं निकलूँगा।”
धीरे-धीरे राजा द्वारा डॉक्टर को दिया गया समय पूरा हो रहा था। लेकिन उसके पहले ही डॉक्टर बना हुआ यमदूत राजा के पास गया और बोला, “महाराज आपकी बेटी को ठीक करने का एक ही उपाय है, आप अपनी सेना में को यह आदेश दें कि तोपखाने में जितनी भी तोपें हैं, सब एक साथ दागी जायें। पूरा तोपख़ाना एक साथ आवाज़ करे।”
राजा ने महल के ऊपर जाकर घोषणा की, “तोपें दागो! एक साथ सब तोपें दागो!”
बूमs s बूम s s बूम s s
चारों ओर तोपों की आवाज़ गूँजने लगी! लँगड़ा भूत जो राजकुमारी के शरीर में रहकर कमरे में बंद था, वह बोला, “दोस्त यह क्या हो रहा है? बाहर से यह धमाके की आवाज़ें कैसे आ रही हैं?”
एक जहाज़ आ रहा है बंदरगाह में, उसी के स्वागत के लिए तो ये तोपें दागी जा रही हैं।”
“भला यह कौन आ रहा है?”
लँगड़े भूत का दोस्त खिड़की पर गया और वहाँ से बोला, “ऐसा लगता है, तुम्हारी पत्नी आ रही है।”
“मेरी पत्नी?” लँगड़े यमदूत ने पूछा फिर बोला, “मेरी पत्नी? बाप रे! मैं तो यहाँ से निकाल कर भागूँगा, तुरंत भागूँगा! मैं तो उसकी गंध भी बरदाश्त नहीं कर सकता, शक्ल की कौन कहे!”
उसी समय राजकुमारी के मुँह से एक लपट-सी निकली और लँगड़ा यमदूत राजकुमारी के शरीर से निकलकर
भाग गया।
“राजकुमारी चंगी हो गई महाराज! राजकुमारी अच्छी हो गई!” वैद्य बने हुए यमदूत ने जाकर राजा के पास घोषणा की। ”जय हो! जय हो!”
राजा ने कहा, “मेरी बेटी और मेरा तख़्त सब तुम्हारा है!”
और अब लँगड़े यमदूत के मित्र यमदूत की मुसीबतों का सिलसिला शुरू हुआ . . .!!
“जो भी यह कहानी सुने, पढ़े या सुनाए।
ईश्वर उन सब को शादी के फँदे से बचाए!”
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