ग्यारह बैल एक मेमना

15-08-2024

ग्यारह बैल एक मेमना

सरोजिनी पाण्डेय (अंक: 259, अगस्त द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

मूल कहानी: आइ डोडिसी बोइ; चयन एवं पुनर्कथन: इतालो कैल्विनो
अंग्रेज़ी में अनूदित: जॉर्ज मार्टिन (द ट्वेल्व ऑक्सेन); पुस्तक का नाम: इटालियन फ़ोकटेल्स; 
हिन्दी में अनुवाद: ‘ग्यारह बैल एक मेमना' सरोजिनी पाण्डेय

 

एक किसान के बारह बेटे थे। जब बेटे जवान होने लगे तब पिता के शासन में रहना उन्हें नहीं भाया और वे जंगल में अपने लिए एक घर बनाकर अलग रहने लगे और बढ़ईगीरी से जीविका चलाने लगे। भगवान की कुछ ऐसी मर्ज़ी हुई कि बेटों के घर से चले जाने के बाद उस किसान दंपती को एक बेटी भी मिली जो उनके जीवन का सहारा बन गई। बेटी बड़ी होने लगी। वह अपने माता-पिता से अपने भाइयों के बारे में बातें तो सुनती थी लेकिन कभी उनसे मिली न थी। 

एक दिन वह जंगल में नहाने के लिए अपने प्रिय झरने पर गई। वहाँ उसने अपनी मूँगे की माला गले से उतार कर एक झाड़ी पर लटका दी। जब वह नहा रही थी, तब वहाँ उड़ते हुए एक कौवे ने माला को मांस का टुकड़ा समझ उसे अपनी चोंच में दबाया और उड़ गया। लड़की अपनी माला पाने के लिए कौवे के पीछे-पीछे दौड़ी। कौवे का पीछा करते-करते वह एक घर के पास पहुँच गई। वह थक गई थी, जब उसने घर के आसपास किसी को नहीं देखा तो सहमते हुए अंदर चली गई। वहाँ की चीज़ों को देखकर वह समझ गई कि यह उसके भाइयों का घर ही होना चाहिए, क्योंकि वहाँ रोज़मर्रा की ज़रूरत की हर चीज़ बारह की संख्या में थी। बड़े उत्साह से उसने खाना बनाया, बारह थालियाँ में परोसा और फिर स्वयं एक चारपाई के नीचे जाकर छुप गई। जब भाई घर वापस आए तो भूखे थे, उन्होंने खाना तो खा लिया लेकिन पेट भर जाने के बाद तो वे चिंता में पड़ गए कि खाना आख़िर बनाया किसने था? कहीं यह किसी भूतनी या चुड़ैल का तो काम नहीं? क्योंकि जंगल में इस प्रकार के जीव उनके घर के आसपास बहुतायात से पाए जाते थे। 

अगले दिन घर की निगरानी के लिए एक भाई घर पर ही रह गया। जब बहन अपनी छुपाने की जगह से बाहर निकली तब यह सच्चाई बातचीत से पक्की हो गई कि यह घर उसके भाइयों का ही था और वह उन सब की छुटकी बहन थी। बारहों भाइयों ने उसका बड़ा आदर-सत्कार, लाड़-प्यार किया . . . फिर उन सब ने अपनी बहन को अपने पास ही रहने के लिए मना भी लिया। बहन भी अपने भाइयों के साथ रहना चाहती थी। 

जब भाई काम पर जाने लगे तो उन्होंने अपनी बहन से कहा कि आसपास के किसी आदमी या औरत से बातचीत करने की कोई ज़रूरत नहीं है क्योंकि वहाँ कई भूतनियाँ घूमती रहती हैं जो जादू-टोना और प्रेत विद्या जानती हैं! 

एक दिन जब बहन खाना बनाने के लिए रसोई में गई तो उसने देखा कि चूल्हे में आग नहीं है। वह पास पड़ोस में घूमी और एक घर में जाकर आग माँगने के लिए दरवाज़ा खटखटाया। दरवाज़ा खोलने वाली एक बुड्ढी अम्मा थी। उन्होंने उसे आग तो दे दी लेकिन साथ ही एक शर्त लगाई कि वह कल लड़की के घर आकर उसका एक बूँद ख़ून चूस लेगी (पाठक कल्पना कर सकते हैं कि मनुष्य के विकास और जीवन यात्रा में आग का क्या महत्त्व रहा है) 

“मैं अपने घर के अंदर किसी को नहीं बुला सकती,” लड़की ने बताया, “मेरे भाइयों ने इस बात की सख़्त मनाही की है।”

“तुम्हें दरवाज़ा खोलने, मुझे अन्दर बुलाने की ज़रूरत नहीं है!”  अम्मा बोली, “तुम बस चाबी वाले छेद के ऊपर अपनी उँगली लगा देना, मैं एक बूँद ख़ून ही तो पियूँगी!”

अब वह बुढ़िया, लड़की के घर रोज़ आती, चाबी के छेद पर लगी लड़की की उँगली से एक बूँद ख़ून पीकर चली जाती। 

लड़की धीरे-धीरे पीली पड़ने लगी। जब भाइयों का ध्यान बहन की इस दशा की ओर गया तो उन्होंने प्रश्नों की झड़ी लगा दी। हारकर बेचारी को बताना पड़ा कि उसे एक बार आग लेने के लिए पड़ोसन बुढ़िया के घर जाना पड़ा और अब वह रोज़ एक बूँद ख़ून पीने आती है। भाइयों ने इस बात का निपटारा करने की बात आपस में तय कर ली। अगली शाम जब बुढ़िया आयी और दस्तक दी, तब लड़की ने अपनी उँगली छेद में नहीं लगायी। बुढ़िया ने दरवाजे़ की दरार से भीतर घुसना चाहा, तो एक भाई ने जो उसकी ताक में ही बैठा था, अपने वसूले की चोट से उसका धड़ सर से अलग कर दिया। उसकी लाश एक खड्ड में फेंक दी गई। 

एक दिन की बात है, जब लड़की झरने पर नहाने जा रही थी, तो रास्ते में एक औरत सफ़ेद रंग के सुंदर कटोरे बेच रही थी। लड़की ने जब कटोरे देखे तो उसे वे बड़े अच्छे लगे लेकिन “मेरे पास पैसे नहीं है “कह कर लड़की आगे बढ़ गई। 

इस पर कटोरे बेचने वाली ने कहा, “कोई बात नहीं बेटी, आज तुम इन्हें उपहार समझ कर ले लो! जब पैसे हों तो दे देना!”लड़की ने ख़ुशी-ख़ुशी कटोरे ले लिए और घर जाकर भाइयों के लिए सब में पानी भर कर रख दिया। जब भाई काम से वापस लौटे तो प्यासे थे उन्होंने बारह सुंदर कटोरों में पानी रखा देखा तो गटागट पी गए और देखते ही देखते ग्यारह भाई बैल बन गए। सबसे छोटा बारहवाँ कम प्यासा था उसने बस एक ही घूँट पानी पिया, वह मेमना बन गया। 

अब बेचारी बहन के पास ग्यारह बैल और एक मेमना था, जिनकी देखभाल करने के लिए उसे दिन भर मेहनत करनी पड़ती। उन्हें चारा-घास, पानी देना पड़ता था। 

कुछ दिनों बाद एक राजकुमार उस जंगल में शिकार करने आया। बेचारा रास्ता भटक गया और भटकते-भटकते जंगल के उस भाग में जा पहुँचा जहाँ वह लड़की अपने बैल और मेमना भाइयों की देखभाल करती हुई रह रही थी। लड़की का रंग-रूप, आचार-व्यवहार देखकर राजकुमार उस पर मोहित हो गया और विवाह का प्रस्ताव रखा। लड़की ने विवाह न करने की बात कही क्योंकि उसको अपने इन शापित भाइयों की देखभाल करनी होती थी। वह उन्हें अकेला छोड़कर नहीं जा सकती थी। 

अब राजकुमार उसके बारह भाइयों को भी अपने साथ ले चलने के लिए तैयार हो गया। इस पर लड़की भी विवाह के लिए राज़ी हो गई। राजकुमार का ब्याह लड़की के साथ हो गया! उसके भाई बैलों को संगमरमर की गौशाला में रख दिया गया और सोने की नादों में उन्हें चार मिलने लगा। 

उधर जंगल की भूतनियों को चैन कहाँ? उनकी एक साथिन मारी जो गई थी, उन्हें बदला लेना था। 

एक दिन राजकुमार की दुलहन अपने अंगूर के बग़ीचे में सबसे छोटे मेमने भाई के साथ घूम रही थी कि एक बूढ़ी स्त्री उसके पास आयी और बोली, “बेटी, क्या तुम मुझे थोड़े से अंगूर दे दोगी?” 

“क्यों नहीं, जितने चाहो तोड़ लो, अम्मा।”

“वे तो बड़ी ऊँचाई पर लगे हैं, तुम ही तोड़ देती तो अच्छा था।”

“बहुत अच्छा!” कह कर लड़की उचक उचककर अंगूर तोड़ने लगी। 

“वह जो थोड़ा ऊपर है, वह सबसे अच्छा और मीठा लगता है!” अम्मा ने पानी के हौज़ के ठीक ऊपर के गुच्छे की ओर इशारा किया। उसे तोड़ने के लिए राजकुमार की दुलहन हौज़ की दीवार के किनारे पर चढ़ गई। ज्यों ही वह उस पर चढ़ी, बूढ़ी औरत ने उसे धक्का दे दिया। बेचारी हौज़ में गिर पड़ी। छोटा मेमना मिमियाते हुए हौज़ के चक्कर लगाने लगा। किसी की समझ में कुछ नहीं आया और ना तो किसी ने हौज़ में से आती हुई राजकुमारी की पतली आवाज़ ही सुनी। 

उधर राजकुमारी को पानी के हौज़ में धकेलने के बाद बूढ़ी औरत जो वास्तव में एक भूतनी थी राजकुमारी का रूप बनाकर उसके बिस्तर में जाकर लेट गयी। 

कुछ समय बाद जब राजकुमार कमरे में आया तो उसने अपनी पत्नी को बिस्तर में लेटे देखकर पूछा, “तुम यहाँ बिस्तर में क्या कर रही हो, तुम तो बग़िया में घूमने गई थीं न?” 

“मैं बीमार हूँ, मुझे कुछ खाने को चाहिए, जो मेमना बाहर मिमिया रहा है न, उसको कटवा कर उसका मांस मेरे लिए बनवा दो।”

“तुम्हें यह क्या हो गया है? याद नहीं है? तुमने तो मुझे बताया था कि वह मेमना तुम्हारा भाई है और आज तुम उसी को खाना चाहती हो! आख़िर तुम्हें क्या हुआ है?” 

राजकुमारी बनी भूतनी समझ गयी कि उसने बड़ी भारी भूल कर दी है। राजकुमार समझ गया कि कुछ गड़बड़ कहीं ज़रूर है। 

वह बग़ीचे में उस मिमियाते मेमने को देखने के लिए निकल पड़ा। मेमना पानी के हौज़ के पास में घूम रहा था। राजकुमार ने वहाँ अपनी दुलहन की पुकार और कराह भी सुनी। उसने हौज़ में झाँका, लड़की को वहाँ देखकर वहाँ चौंक गया, “अरे, मैं तो तुम्हें अभी बिस्तर में लेटी देखकर आया था! तुम यहाँ क्या कर रही हो?” 

“मैं तो बग़ीचे में टहल रही थी, लगता है वह बुड्ढी एक भूतनी ही थी जो मुझे धोखे से इस हौज़ में धकेल गई।”

राजकुमार ने अपनी दुलहन को हौज़ में से बाहर निकलवाया। भूतनी बुढ़िया भी पकड़ ली गई। उसे घास के ढेर में रखकर जला दिया गया। जैसे-जैसे आज तेज़ हो रही थी ग्यारह बैल और मेमना इंसान बन रहे थे। धीरे-धीरे वे वापस गबरू जवान बन गए। राजकुमार के राज्य में इन लोगों को मंत्री बना दिया गया और वे ठाठ से रहने लगे!

“सबके ठाठ हो गए 
और हम उनकी कहानी कहने वाले 
वहीं के वहीं रह गए।” 

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