तुम्हारे साथ
सरोजिनी पाण्डेय
डूबते सूरज की किरनें
हो कर सवार लहरों पर
आती हैं हम तक
होने दो ऐसा ही थोड़ी-सी और देर
रहने दो पानी में, निकालो मत अपने पैर!
आओ बैठें पास-पास
पुष्पित फुलवारी में
घुल जाए सुवास
इन सुमनों की साँसों में
हे प्रिय, ठहरो तनिक!
श्वासें तनिक गहरी लो
मदमस्त होने दो मुझे
इस गुलाब बाड़ी में।
दूर जाती छुक-छुक-छुक गाड़ी की सीटी,
जब तक सुनाई दे सुनते रहो,
खुली मत रखो, मूँद लो आँखें
बस केवल अपने कानों पर ग़ौर करो
यहीं से तुम्हारे साथ चल पड़ूँगी सैर को
बाँहों में सारा संसार मुझे भरने दो॥
छोटे-छोटे घूँट ले
आओ रस-पान करें
नशे को धीरे-धीरे, हर रग में घुलने दें।
हृदय में धधकती इस इस प्रखर ज्वाला को,
आओ झेलें संग-संग
आख़िरी अंगारे को भी राख हो जाने दो।
कितने झमेले हैं
मन में और बाहर भी
ख़त्म न ये होंगे ज़िन्दगी से कभी भी,
रखकर इन्हें दूर, कुछ पल हो परम मुक्त
इक दूजे के लिए जियें जीवन सजाने को॥
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