सावनी के फूल
सरोजिनी पाण्डेय1.
फूली सावनी
गुलाबी रंग वाली
लुभाती मन
पूरित हुआ जल
तरंग मेंह मन
2.
उदे बादल
लखते दुलहिन
हुए मगन
छूटा सब संयम
बरसे झमाझम
3.
स्नेह सिक्त
सावनी के पुहुप
झरे भू पर
जल में हो निमग्न
डूबे प्रेम के रस
4.
मुस्काई धरा
देख ये प्रेमाचार
उदे-गुलाबी
घुले-मिले होकर
बिछे भूमि ऊपर॥
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