मेरी माँ
सरोजिनी पाण्डेयअक़्सर गाहे-बगाहे, जब-तब
याद आ जाती है
मुझे, मेरी माँ!
मुझसे कई-कई वर्ष छोटे
मेरे सहोदरों के गर्भ-भार से शिथिल होती
साँवली-सलोनी, फ़ुर्तीली, मेरी माँ!
चाहे और अनचाहे भी
कभी-कभी अपनी ही संतति से,
कुछ परेशान, कुछ झुँझलाई हुई लगती
मेरी माँ,
सर्दी की रातों में अपनी रजाई में
हमको समेट, भूतों-परियों के क़िस्से सुनाती
थकी-माँदी उनींदी
मेरी माँ,
हमारे शाला जाने से पहले
रोज़ टटका1 भोजन को देने को
बड़े तड़के उठ, काम में जुट जाने वाली
कर्मठ, समर्पित
हम सबकी माँ!
अपने लिए पान के पत्ते पर
चूना-कत्था तथा लगाते हुए
शायद अपने बचपन में खोई हुई
कोई गीत गुनगुनाती, बिलमाती2
भोली, मेरी माँ!
यदा-कदा ही सही,
मुँह में पान चबाते हुए
मन ही मन ना जाने क्या?
सोचती, स्वयं से ही लजाती, मुस्कुराती हुई,
मेरी प्यारी माँ!
अपने जीवन के पके हुए दिनों में
अपनी पाली-पोसी,
सयानी हो चुकी, अपनी सन्तानों को
क़ीमती ख़ज़ाना समझने वाली
स्वाभिमानी मेरी माँ!
यात्रा के अंतिम दिनों में
अशक्त हो चुकी, टूटी-फूटी,
विस्मृतियों में डूबी,
यादों के गलियारों में भटकती
ईश्वर से मृत्यु का वरदान माँगती,
मेरी बेचारी-सी माँ!
और
अब तो जब भी
आईना मैं देखूँ
स्वर्ग से उतर, दर्पण में समाकर
मेरी ही आँखों से
मेरे ही चेहरे को निहारती-सी लगती है—
मेरी माँ,
सुनती, पढ़ती रहती हूँ,
'अतिमानवी', देवी तुल्य,
अपार्थिव माता नाम के चर्चे
मेरे तो भाग्य में लिखी थी
सीधी, सरल, प्रेम-क्रोध सुख-दुख
देने-समझने वाली एक स्त्री
जो संयोग से ही सही
बन गई मेरी माँ . . .!
- टटका=ताज़ा
- बिलमाती=विश्राम करती
1 टिप्पणियाँ
-
बहुत सुंदर ।माँ जीवन का अनमोल ख़ज़ाना होती है और जिसने भी वह खो दिया, मैं समझती हूँ , कि बस सब कुछ रहते हुए भी अनाथ हो गया । हमारे यहाँ एक कहावत है, “अगर माँ का आशीर्वाद आसमान समान , तो ईश्वर का आशीर्वाद दीपक समान” ! आँख नम हो गई । माँ शब्द ही ऐसा है …!
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
- कविता
-
- अँजुरी का सूरज
- अटल आकाश
- अमर प्यास –मर्त्य-मानव
- एक जादुई शै
- एक मरणासन्न पादप की पीर
- एक सँकरा पुल
- करोना काल का साइड इफ़ेक्ट
- कहानी और मैं
- काव्य धारा
- क्या होता?
- गुज़रते पल-छिन
- जीवन की बाधाएँ
- झीलें—दो बिम्ब
- तट और तरंगें
- तुम्हारे साथ
- दरवाज़े पर लगी फूल की बेल
- दशहरे का मेला
- दीपावली की सफ़ाई
- दोपहरी जाड़े वाली
- पंचवटी के वन में हेमंत
- पशुता और मनुष्यता
- पारिजात की प्रतीक्षा
- पुराना दोस्त
- पुरुष से प्रश्न
- बेला के फूल
- भाषा और भाव
- भोर . . .
- भोर का चाँद
- भ्रमर और गुलाब का पौधा
- मंद का आनन्द
- माँ की इतरदानी
- मेरा क्षितिज खो गया!
- मेरी दृष्टि—सिलिकॉन घाटी
- मेरी माँ
- मेरी माँ की होली
- मेरी रचनात्मकता
- मेरे शब्द और मैं
- मैं धरा दारुका वन की
- मैं नारी हूँ
- ये तिरंगे मधुमालती के फूल
- ये मेरी चूड़ियाँ
- ये वन
- राधा की प्रार्थना
- वन में वास करत रघुराई
- वर्षा ऋतु में विरहिणी राधा
- विदाई की बेला
- व्हाट्सएप?
- शरद पूर्णिमा तब और अब
- श्री राम का गंगा दर्शन
- सदाबहार के फूल
- सागर के तट पर
- सावधान-एक मिलन
- सावन में शिव भक्तों को समर्पित
- सूरज का नेह
- सूरज की चिंता
- सूरज—तब और अब
- अनूदित लोक कथा
-
- तेरह लुटेरे
- अधड़ा
- अनोखा हरा पाखी
- अभागी रानी का बदला
- अमरबेल के फूल
- अमरलोक
- ओछा राजा
- कप्तान और सेनाध्यक्ष
- काठ की कुसुम कुमारी
- कुबड़ा मोची टेबैगनीनो
- कुबड़ी टेढ़ी लंगड़ी
- केकड़ा राजकुमार
- क्वां क्वां को! पीठ से चिपको
- गंध-बूटी
- गिरिकोकोला
- गीता और सूरज-चंदा
- गुनी गिटकू और चंट-चुड़ैल
- गुमशुदा ताज
- गोपाल गड़रिया
- ग्यारह बैल एक मेमना
- ग्वालिन-राजकुमारी
- चतुर और चालाक
- चतुर चंपाकली
- चतुर फुरगुद्दी
- चतुर राजकुमारी
- चलनी में पानी
- छुटकी का भाग्य
- जग में सबसे बड़ा रुपैया
- ज़िद के आगे भगवान भी हारे
- जादू की अँगूठी
- जूँ की खाल
- जैतून
- जो पहले ग़ुस्साया उसने अपना दाँव गँवाया
- तीन अनाथ
- तीन कुँवारियाँ
- तीन छतों वाला जहाज़
- तीन महल
- दर्दीली बाँसुरी
- दूध सी चिट्टी-लहू सी लाल
- दैत्य का बाल
- दो कुबड़े
- नाशपाती वाली लड़की
- निडर ननकू
- नेक दिल
- पंडुक सुन्दरी
- परम सुंदरी—रूपिता
- पाँसों का खिलाड़ी
- पिद्दी की करामात
- प्यारा हरियल
- प्रेत का पायजामा
- फनगन की ज्योतिष विद्या
- बहिश्त के अंगूर
- भाग्य चक्र
- भोले की तक़दीर
- महाबली बलवंत
- मूर्ख मैकू
- मूस और घूस
- मेंढकी दुलहनिया
- मोरों का राजा
- मौन व्रत
- राजकुमार-नीलकंठ
- राजा और गौरैया
- रुपहली नाक
- लम्बी दुम वाला चूहा
- लालच अंजीर का
- लालच बतरस का
- लालची लल्ली
- लूला डाकू
- वराह कुमार
- विधवा का बेटा
- विनीता और दैत्य
- शाप मुक्ति
- शापित
- संत की सलाह
- सात सिर वाला राक्षस
- सुनहरी गेंद
- सुप्त सम्राज्ञी
- सूर्य कुमारी
- सेवक सत्यदेव
- सेवार का सेहरा
- स्वर्ग की सैर
- स्वर्णनगरी
- ज़मींदार की दाढ़ी
- ज़िद्दी घरवाली और जानवरों की बोली
- ललित निबन्ध
- सांस्कृतिक कथा
- आप-बीती
- सांस्कृतिक आलेख
- यात्रा-संस्मरण
- काम की बात
- यात्रा वृत्तांत
- स्मृति लेख
- लोक कथा
- लघुकथा
- कविता-ताँका
- सामाजिक आलेख
- ऐतिहासिक
- विडियो
-
- ऑडियो
-