पुरुष से प्रश्न

01-03-2023

पुरुष से प्रश्न

सरोजिनी पाण्डेय (अंक: 224, मार्च प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

(८ मार्च, २०२३ महिला दिवस पर)

ओ पुरुष, 
क्यों तू रहता है इतना भयभीत? 
यूँ तो करता है गर्व अपने बाहुबल पर, 
नाम देता है सुरक्षा करने का परन्तु
रक्षा के छद्म में करता है स्त्री को प्रताड़ित!
 
ओ पुरुष, 
क्यों तू रहता है सदा भ्रमित? 
नाम दिया नारी को तूने ही ‘अबला’
देकर फिर उसे ही नाम ‘पराशक्ति’ का
उसी नारी को बनाता है पूजित! 
 
ओ पुरुष, 
क्यों तू बना रहता है अहंकारी? 
क्यों नहीं तू सत्य को सहज स्वीकार करता है? 
यदि जन्मी नहीं स्त्री होकर ‘संपूर्ण’
तो क्यों नहीं तू भी स्वयं को ‘अपूर्ण’ मान लेता है?
 
हम अलग-अलग आधे हैं-अधूरे हैं
दो अधूरे साथ मिलकर ही होते पूरे हैं! 
जिस दिन यह सनातन सत्य तुझे स्वीकृत हो जाए
उस दिन यह समाज सचमुच ‘उन्नत’ हो जाए! 
 
पुष्ट तन का ‘बल’ रहे तू, मैं तेरा ‘संबल’ बनूँ
तू बने ‘उत्साह’ जो, तो मैं तेरा ‘साहस’ बनूँ! 
तू भरे जो श्वास गहरी रागिनी तेरी बनूँ, 
गुंजारित हो सृष्टि सारी, ‘पूर्णता’ इसकी बनूँ। 

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