मेरे प्रभु

15-10-2021

मेरे प्रभु

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 191, अक्टूबर द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

मैं स्वर्ग में गमन करूँ 
या फिर नर्क कुंड की 
अग्नि में भस्म होता रहूँ
मगर फिर भी 
तुम मुझ में 
शेष रहना मेरे प्रभु।
 
मैं सिंहासन पर बैठा हुआ
राज्य करूँ या फिर
रंक बन  भिक्षा माँगूँ
मगर फिर भी 
तुम मुझ में 
शेष रहना मेरे प्रभु।
 
मैं जीवन के प्रारंभिक दौर में
खड़ा हूँ या फिर 
मृत्य के अंतिम छोर में खड़ा हूँ
मगर फिर भी 
तुम मुझ में 
शेष रहना मेरे प्रभु।

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