मैं तूफ़ानों से निकला हूँ
मुझे आँधियों से
अब कोई डर नहीं,
मैं महाकाल से मिला हूँ
मुझे काल से
अब कोई डर नहीं ,
मैं अपने अस्तित्व को
मिटा चुका हूँ,
मुझे जीवन से अब
कोई मोह नहीं।
मैं माँ काली से प्रेम
पा चुका हुँ,
मुझे दुनिया वालों से
अब कोई स्नेह नहीं।