काल

राजीव डोगरा ’विमल’ (अंक: 160, जुलाई द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)

मैं तूफ़ानों से निकला हूँ
मुझे आँधियों से 
अब कोई डर नहीं,
मैं महाकाल से मिला हूँ 
मुझे काल से 
अब कोई डर नहीं ,
मैं अपने अस्तित्व को
मिटा चुका हूँ,
मुझे जीवन से अब 
कोई मोह नहीं।
मैं माँ काली से प्रेम
पा चुका हुँ,
मुझे दुनिया वालों से 
अब कोई स्नेह नहीं।

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