मैं कभी-कभी
निःशब्द हो जाता हूँ।
समझ नहीं आता
क्या लिखूँ,
और किसके बारे में लिखूँ ।
जिनको देखकर
शब्दों के जाल बुनता था,
वो ही आज मुझे
निःशब्द कर चले गए।
जिनको सोच कर
मेरा अंतर्मन नए-नए
भावों को उद्वेलित करता था।
वो ही आज मुझे
भावों से हीन करके चले गए।
जिनके लिए मैं
समझदार बनता था,
वो ही आज मुझे
नासमझ मान कर
कही दूर चले गए।