ये दुनिया एक चैंबर है
धीरज ‘प्रीतो’
एक
ये दुनिया
ये ख़ूबसूरत दिखने वाली दुनिया
एक चैंबर है
जिसमें सौन्दर्य है
अद्भुत सौन्दर्य
अद्भुत जीव जन्तु
साथ ही इसमें कुछ
बुद्धिजीवी प्राणी हैं
इस चैंबर के रखवाले कह लो
या फिर साक्षात्कारकर्ता कह लो
जो तुमसे पूछेंगे सवाल
हज़ारों लाखों सवाल
तुम्हारा धर्म क्या है?
तुम्हारी जात क्या है?
अगर तुम अनाथ हो तो तुम्हारे
माँ बाप कौन हैं?
किस वर्ग से आते हो
जनरल, ओबीसी, एससी, एसटी
या आदिवासी या प्रवासी हो?
तुमसे तुम्हारा सार पूछेंगे, यथार्थ पूछेंगे
तुम्हारा ज्ञान परखेंगे
तुम्हारी उपलब्धि पूछेंगे
कितना कमाते हो, कितना खाते हो पूछेंगे
पूछेंगे तुमसे तुम्हारे सुख का कारण
तुम्हारे दुख का कारण
तुम्हारे क्रोध, लालच, ईर्ष्या का कारण भी
पर ध्यान दो, ये कोई उपचार नहीं देंगे
दो
नहीं पूछेंगे तो बस तुम्हारे
प्रेम का स्रोत, तुम्हारे प्रेम का सार
तुम्हारे प्रेम की गहराई
तुम्हारे प्रेम का नाम
क्यूँकि प्रेम इन बुद्धिजीवियों
का विषय नहीं है
इन्हें ज्ञान नहीं है प्रेम का
तो क्यों पूछेंगे भला प्रेम को
प्रताड़ित करेंगे तुम्हें
प्रेम के लिए
प्रेम के प्रति तुम्हारी आस्था के लिए
पर तुम डटे रहना
प्रेम को छोड़ना मत
प्रेम की गति में बहते रहना
उनके पास सब कुछ है
परन्तु तुम्हारे पास सिर्फ़ और सिर्फ़ प्रेम है
अनंत प्रेम
अद्भुत प्रेम।
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