माँगलिक
धीरज ‘प्रीतो’
मैं बचपन से ही तेज़ और होशियार हूँ
हाई स्कूल और इंटर में क्रमशः
अस्सी और पचहत्तर प्रतिशत आया
सुन्दर भी हूँ और कामुक भी
बात वन नाइट स्टैंड की हो
तो सब राज़ी हैं
पर ब्याह के लिए कोई नहीं
दोष जो है मेरी कुंडली में
मैं माँगलिक हूँ
पर मुझे याद नहीं
मैंने कोई अमंगल कार्य
कब किया
एक रिश्ता हुआ था
दहेज़ माँगते थे ज़्यादा
मेरे दोष को छुपाने के लिए
पिता जी लड़के का चरण धो कर पी जाते
लेकिन मैंने रिश्ते से मना कर दिया
मेरी उमर निकली जा रही है
माँ बाप को चिंता है
और उनका रवैया भी बदल रहा
मेरे प्रति, जैसे दोष मेरा हो
एक और लड़का देख आए हैं
शायद वो भी माँगलिक है
मुझे ख़ुशी हुई
मैं अकेली नहीं माँगलिक
पर लड़के में दोष कम है
मुझ में ज़्यादा
मुझे शादी करनी होगी पहले
एक पीपल के पेड़ से
फिर मैं क़ाबिल बनूँगी
एक लड़के से ब्याहने के लिए
सोचती हूँ हिम्मत करके
पिताजी को बता दूँ
एक लड़का है
जिसे मेरी कुंडली के दोष नहीं
मेरी ख़ूबियाँ दिखाई देती हैं
प्यार करता है, शादी भी करेगा
मज़ाक़ में कहता है मुझ से
माँगलिक लड़कियाँ पसंद हैं उसे।
0 टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
- कविता
-
- अंत कहाँ पर करूँ
- अकेलापन
- अदृश्य दरवाज़े
- असल प्रयागराज
- आँखों की भाषा
- आईना
- आख़िरी कर्त्तव्य
- उपनिवेश
- उम्मीद एक वादे पर
- एक लड़का
- कर्ण
- क्या राष्ट्र सच्चा है?
- गड़ा मुर्दा
- गाँव और शहर
- गिद्ध
- गुनाह
- घुप्प अँधेरा
- छह फ़ुट की क़ब्र
- जागती वेश्याएँ
- तीन भाइयों का दुखड़ा
- नदी
- पदार्थ की चौथी अवस्था
- पुतली
- पेड़ गाथा
- प्रियजनो
- प्रेम अमर रहे
- प्रेम और ईश्वर
- बच कर रहना
- बताओ मैं कौन हूँ?
- बदहाली
- बह जाने दो
- बहनो
- बहनो
- बारिश
- बीहड़
- बुद्ध
- बेबसी
- भाग्यशाली
- माँ
- माँगलिक
- मुझे माफ़ कर दो
- मेरा वुजूद
- मेरी कविताओं में क्या है
- मेरी बहन
- मैं आवाज़ हूँ
- मैं तप करूँगा
- मैं भी इंसान हूँ
- मैं स्त्री हूँ
- मैं ख़ुद की हीनता से जन्मा मृत हूँ
- मज़दूर हूँ
- ये दुनिया एक चैंबर है
- राम, तुम मत आना
- लड़ते लड़ते
- शब्द
- शादी का मकड़जाल
- षड्यंत्र
- सूरज डूब गया है
- स्कूल बैग
- स्त्रियाँ
- स्त्री तेरे कितने रंग
- होली—याद है तुम्हें
- ग़रीबी
- विडियो
-
- ऑडियो
-