मैं स्वयं में

15-01-2025

मैं स्वयं में

धीरज ‘प्रीतो’ (अंक: 269, जनवरी द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)

 

राग द्वेष मिटा कर
नए सपने सजा कर
मैं तुम्हें ख़ुद में ज़िन्दा कर रहा हूँ
ख़ुद को जला कर
 
अटल अपनी बाधाओं को सरल बना रहा हूँ
जो बीती है मुझ पर सब से छिपा रहा हूँ
मैं तुम्हें ख़ुद में गढ़ रहा हूँ
ख़ुद को मिटा कर
 
नित नई नज़्में तुम पर लिख रहा हूँ
कोरे काग़ज़ों पर तेरी तस्वीर बना रहा हूँ
मैं तुम्हें ख़ुद में लिख रहा हूँ
ख़ुद को क़लम बना कर
 
जुदाई का ग़म निगले जा रहा हूँ
तेरे बग़ैर मैं जिए जा रहा हूँ 
मैं ख़ुद से ही लड़ रहा हूँ
ख़ुद को हथियार बना कर। 

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