पिता एक किताब

15-10-2024

पिता एक किताब

धीरज ‘प्रीतो’ (अंक: 263, अक्टूबर द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

मेरे ज्ञान के सभी स्रोत
मेरे पिता की मुठ्ठी से फिसल कर ही मुझ तक पहुँचे
 
मेरे पिता मेरे लिए 
अपने पैरों से मसल देते हैं 
कठिनाइयों का उच्चावच और दुखों की पहाड़ियाँ
हाथों के एक वार से तोड़ देते हैं इतिहास की बेड़ियाँ
और रखते हैं अपनी जेब में 
मेरे लिए दुनिया का सबसे उत्तम अर्थशास्त्र
और राजनीतिक भविष्य
 
पिता सिर्फ़ पिता कहाँ होता है
पिता तो सारा भूगोल, अर्थशास्त्र, इतिहास और 
राजनीति की किताब होता है
 
मेरे पिता एक ऐसी किताब हैं
जिसको पढ़ लेना मात्र ही
मेरे लिए सभी दुर्गम सफलताओं को प्राप्त कर लेना है
 
और किसी दिन माँ से कहकर सीख लूँगा— 
पिता को पढ़ने की तरकीब। 

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