बचपन की ओर

01-02-2025

बचपन की ओर

धीरज ‘प्रीतो’ (अंक: 270, फरवरी प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

सत्ताईस बरस का हूँ
एक चौथाई टूट चुका हूँ
एक चौथाई हँसता हूँ
एक चौथाई रोता हूँ
और शेष एक चौथाई में प्रेम रचता हूँ
उम्र बढ़ने पर, प्रेम का अंश संकुचित होता जा रहा 
और शेष अंशों में घातीय बढ़त दिखाई पड़ती है
कोई रास्ता, 
कोई मोड़, 
कोई सुझाव
कि मोड़ सकूँ जीवन को बचपन की ओर। 

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